Rabb Di Aulaad Lyrics from Rabb Di Aulaad Song is New Punjabi song sung by Dean Warring with music also given by Prabhjot Matwani. Rabb Di Aulaad song lyrics are written by Dean Warring
Song Details:-
Song Title:- Rabb Di Aulaad
Singer:- Hustinder
Lyricist By:- Dean Warring
Composer By:- Dean Warring
Music:- Black Virus
“Rabb Di Aulaad Lyrics”
Hustinder
Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Chamde Damde Jaat Shuhrtan Dekhe Na
Hye Kamiyan Kumiyan Augun Ginda Gunda Nai
Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Han Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Ehnu Takkna Wass Di Gal Nai Akhan De
Hye Mineya Jaave Na Ambar di Chadar Ton
Eh Te Kidre Ucham Ucha Chotiyan Ton
Eh Te Koi Sheh Ae Doonghi Sagar Ton
Lokan Ehnu Tan Di Teh Bna Chaddeya
Sdiyan To Eh Masla Ae Koi Hun Da Nai
Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Han Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Kandeya Warge phullan Di Ae Sez Koi
Puch Ke Dekhi Ehde Raah te Chdeyan Nu
Yaar Khde aa Pagal Wagal Ho Gyan Da
Smjh Ni Aunda Bahle PDeyan Pudeyan Nu
Is Chandre Nu Paah Nai Lagda Duniya Da
Eh Baahvan te Na KISe Da Sunda Nai
Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Han Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
APne Warga Karle Jida Ho Jaave
Sir Firee Nu Jagg Da Koi Bhai He NAi
Deana oye Par Ik Gal Mann ni Paini ae
Asi Bna Lyi Jehdi Eh Oh Shai E Nai
Thik aa Tarzan Vich Bitha Ta Akhran Nu
Par Apa Jis Te Gayea Eh Uss Dhun Da Nai
Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Han Ishq Ta Rabb Di Vigdi Hoi Aulaad Koi
Hye Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
Apni Marzi Kre Kise Di Sunda Nai
“THE END”
(हिंदी में)
इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी केरे किसे दी सुंडा नै
चमड़े दमड़े जात शुहरतन देखे ना
हाय कमियां कुमियां औगुन गिंदा गुंडा नै
इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी केरे किसे दी सुंडा नै
हन इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी केरे किसे दी सुंडा नै
एहनु तक्कना वास दी गल नै अखान दे
हाय मिनेया जावे ना अंबर दी चादर तोन
एह ते किदरे उचम उचा चोटियां तोन
एह ते कोई शेह ऐ दूंगी सागर तोन
लोकान एहनु तन दी तेह बना चड्डेया
सदियां तो एह मसला ऐ कोई हुन दा नाई
इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी करे किसे दी सुंडा नई
हन इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
अपनी मर्जी करे किसे दी सुंडा नई
कांडेया वारगे फुल्लन दी ऐ सेज कोई
पुच के देखी एहदे राह ते चढ़ेयान नू
यार खड़े आ पागल वागल हो ज्ञान दा
समझ नी औंदा बहले पडेयान पुडेयान नू
इस चंद्रे नू पाह नई लगदा दुनिया दा
एह बाहवान ते ना किसे दा सुंडा नई
इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी करे किसे दी सुंडा नई
हन इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी करे किसे दी सुंडा नाई
अपनी मर्जी के लिए किसे दी सुंडा नाई
अपने वर्गा करले जिदा हो जावे
सर फिरे नू जग दा कोई भाई हे नाई
डीना ओये पर इक गल मन नी पैनी ऐ
असी बना लई जेहदी एह ओह शाई ए नाई
ठीक आ टार्जन विच बिठा ता अखरन नू
पर आपा जिस ते गए एह उस धुन दा नाई
इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी के लिए किसे दी सुंडा नाई
हन इश्क ता रब्ब दी विगदी होई औलाद कोई
हाय अपनी मर्जी के लिए किसे दी सुंडा नाई
अपनी मर्जी के लिए किसे दी सुंडा नाई
“समाप्त”